तो दोस्तों आज के Tidal energy in hindi इस आर्टिकल में हम ज्वारीय ऊर्जा क्या होती है इसके बारेमे जानने वाले है | यह किस तरह से काम करता है, इसके फायदे और नुकसान के बारेमे भी जानेंगे | यह hydro energy का एक अक्षय श्रोत है जो की पानी के पानी के उतार चढ़ाव की मदद से उपलब्ध होता है |
समुंदर के पानी के उतार चढ़ाव की मदद से इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को उत्पन्न किया जाता है |
Tidal energy in Hindi (ज्वारीय ऊर्जा क्या है):-
Defination of tidal energy in hindi:-
यह एक ऊर्जा का अक्षय श्रोत है जो की हाइड्रो एनर्जी का प्रकार है | इसका इस्तेमाल करने के लिए समुंदर के पानी के उतार चढ़ाव याने की ज्वार-भाटा का इस्तेमाल किया जाता है जोकि दिन के दो बार होते है | यह ज्वार-भाटा सूर्य और चांद के गुरुत्वाकर्षण की वजह से होते है इसी ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहा जाता है |
जब पानी का स्तर सबसे ज्यादा होता है तब उसे flood tide या high tide कहा जाता है, और जब पानी का स्तर सबसे कम होता है तब उसे ebb tide या low tide कहा जाता है | इन दोनों ज्वार के बिच के स्तर को tidal range कहा जाता है |
यह tidal range समय, मौसम, साथी साथ जगह के हिसाब से बदलते रहते है | अगर इस ऊर्जा का विचार किया जाये तो दुनाये में 3 × 106 MW इतनी है लेकिन इसमे से बोहोत ही कम ऊर्जा को प्राप्त किया जाता है |
पहला ज्वारीय बिजली सयंत्र फ्रांस में जनरल De Gaulle ने 1966 में बनवाया था |
Tidal energy in India (भारत में ज्वारीय ऊर्जा):-
भारत के बात की जाये तो भारत में tidal power generation को गुजरात के कच्छ के खाड़ी में और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके में इस्तेमाल किया जाता है | ज्वारीय बिजली संयंत्र को नदी में माल्टा और कर्जन क्रीक में बनाया गया है |
छोटे पावर प्लांट की बात की जाये तो beledone creek , Durgadowni creek, Rakshakhali creek, में है | गुजरात के कच्छ के खाड़ी के पावर प्लांट की क्षमता 50 MW है, और gulf of cambay की क्षमता लगभग 40 MW है |(इन आकड़ो में बदलाव हो सकता है|)
Types of tidal power plant (ज्वारीय बिजली संयंत्र के प्रकार):-
A) Single basin system(सिंगल बेसिन सिस्टम):-
- One way system (वन वे सिस्टम)
- Two-way system (टू वे सिस्टम)
- Two-way with pump storage (टू वे सिस्टम पंप के साथ)
B) Double basin system(डबल बेसिन सिस्टम):-
- Simple double basin(सिंपल डबल बेसिन)
- Double basin with pumping (डबल बेसिन सिस्टम पम्पिंग के साथ)
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Working principle of tidal power plant in hindi ( ज्वारीय बिजली सयंत्र का कार्य सिद्धांत):-
A) Single basin system(सिंगल बेसिन सिस्टम):-
अगर tidal range 5 m और उससे ज्यादा हो तो तब hydraulic turbine को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसके बाद हमें पता ही है कि टरबाइन के मैकेनिकल पावर का इस्तेमाल करके जनरेटर को घुमाया जाता है और इलेक्ट्रिकल पावर को उत्पन्न किया जाता है |
ज्यादा टार kaplan turbine का इस्तेमाल किया जाता है ज्वारीय बिजली सयंत्र में |
ज्वार की मदद से इलेक्ट्रिकल पावर को उत्पन्न करने के लिए जब हाई टाइड होती है तब बनी को स्टोर या trapped किया जाता है उसके बाद जब लो टाइड का समय आता है तब पानी को छोड़ा जाता है इस पानी को हाइड्रोलिक टरबाइन के ऊपर छोड़ा जाता है उससे टरबाइन घुमती है और वह जनरेटर को घुमाती है और उससे इलेक्ट्रिकल पावर उत्पन्न होती है |
Tidal power plant के मुख्य हिस्सों की बात की जाये तो उसमे निचे दिए गए हिस्से आते है |
- Power house (पावर हाउस)
- Dam from basin (डैम)
- Sluice ways from basin to sea (स्लूस वेज़ बेसिन से समुद्र तक)
निचे दिखाए चित्र में हम ज्वारीय बिजली सयंत्र का सिंगल बेसिन वन वे सिस्टम को देख सकते है |

इसमे डैम का कम यह होता है की समुंदर और बेसिन के बिच में एक रूकावट बनाना और Sluice का इस्तेमाल या to पानी को अन्दर लाने के लिए या फिर बाहर निकालने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
पावर हाउस को बेसिन के एकदम आगे बनाया जाता है | और टरबाइन जब पानी बाहर जाता है तभी ऑपरेट होती है, उसके बाद जब हाई टाइड आती है to फिरसे पानी भर जाता है |
इसमे डबल साइकिल सिस्टम भी होता है जिसका इस्तेमाल ebb और साथी साथ flood tides में भी किया जाता है निचे हम ज्वारीय ऊर्जा चित्र देख सकते है |


डबल साइकिल सिस्टम में पावर जनरेशन कम समय के लिए बंद होता है इसलिए इसमे भी लगतार इलेक्ट्रिकल पावर को उत्पन्न करना संभव नहीं है | इसके समाधान केलिए डबल बेसिन सिस्टम को बनाया गया है जो हम निचे देख सकते है |
B) Double basin system(डबल बेसिन सिस्टम):-
इसमे दो बेसिन होते है जो की अलग अलग स्तर पर होते है और एन दोनों के बिच में डैम होता है | ज्वारीय ऊर्जा का चित्र हम निचे देख सकते है |
ऊपर वाले बेसिन के पानी का स्तर निचे वाले बेसिन के स्तर के मुकाबले ज्यादा ही रखा जाता है, जब हाई टाइड आती है तब ऊपर वाला बेसिन भर जाता है और लो टाइड के समय खाली हो जाता है इसकी वजह से ऊपर वाले बेसिन में पानी का स्तर ऊँचा ही रहता है |
ज्वारीय ऊर्जा का चित्र हम निचे देख सकते है |

जब पानी का स्तर जितना चाहिए उतना हो जाता है तब टरबाइन को चालू किया जाता है तब पानी ऊपर वाले बेसिन से निचे वाले बेसिन में आ जाता है और इनके बिच में ही पावर हाउस याने टरबाइन होती है वही पर इलेक्ट्रिकल पावर उत्पन्न की जाती है याने की tidal energy generation होता है|
इस सिस्टम का फायदा यह है की इसमे लगातार इलेक्ट्रिसिटी को उत्पन्न किया जा सकता है लेकिन उतनी पावर उत्पन्न नहीं कर पाता है जीतनी पीक load के वक्त जरुरत होती है | इस स्थिति में पंप का इस्तेमाल करके निचे वाले बेसिन से पानी को ऊपर वाले बेसिन में पंप किया जाता है |
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Limitation of tidal energy (ज्वारीय ऊर्जा की सीमाए):-
- जहा पर ज्वार 5 m और उससे ज्यादा होता है वही पर इसका इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है |
- ज्वारीय ऊर्जा कम ज्यादा होती रहती है इसकी वजह से पावर जनरेशन भी कम ज्यादा होता रहता है |
- इस तरह की टरबाइन कि जरुरत होती है जो स्तर का कम ज्यादा होने पर भी ऑपरेट हो सके |
- समुद्र के पानी की वजह से जंग लग सकता है |
- समुद्र का थोडा बोहोत जनजीवन पर फरक पड़ता है
- इसमे कुछ टरबाइन को पैरेलल में लगाना पड़ता है |
Advantages of tidal energy (ज्वारीय ऊर्जा के फायदे):-
- यह ऊर्जा मुफ्त में उपलब्ध है और यह ऊर्जा का अक्षय श्रोत है |
- इससे किसी तरह का प्रदुषण नहीं होता है |
- यह ऊर्जा मानसून के ऊपर निर्भर नहीं होती है |
- इनके इस्तेमाल से आजू बाजु के इलाके में बिजली की सप्लाई की जा सकती है |
- पुरे साल भर लगातार ऊर्जा मिलती रहती है क्यू की ज्वार का चक्र लगातार चलता रहता है |
Disadvantages of tidal energy (ज्वारीय ऊर्जा के नुकसान):-
- इसके निर्माण का खर्चा ज्यादा होता है और इसको बनाने के लिए ज्यादा समय की जरुरत होती है |
- इससे सीमित पैमाने पर ही पावर को उत्पन्न किया जा सकता है |
- इस पावर स्टेशन को बनाने के लिए बोहोत कम जगहे उपलभ्द है |
- बेसिन में sedimentation का प्रॉब्लम आता है याने की बेसिन के तल पर कचरा जमा हो जाता है |
- समुद्र के पानी से जंग लगता है |
- इसके ऑपरेशन में बदलाव होता रहता है |
- इसकी वजह से समुद्र का जन जीवन प्रभावित होता है |
FAQs related to tidal energy in hindi (टाइडल एनर्जी से जुड़े प्रश्न उत्तर)
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ज्वारीय ऊर्जा क्या है ?(Tidal energy meaning in hindi)
यह एक ऊर्जा का अक्षय श्रोत है जो की हाइड्रो एनर्जी का प्रकार है | इसका इस्तेमाल करने के लिए समुंदर के पानी के उतार चढ़ाव याने की ज्वार-भाटा का इस्तेमाल किया जाता है जोकि दिन के दो बार होते है | यह ज्वार-भाटा सूर्य और चांद के गुरुत्वाकर्षण की वजह से होते है इसी ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहा जाता है |
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ज्वारीय बिजली संयंत्र के प्रकार कितने है?(Discribe Types of tidal power plant)
A) Single basin system(सिंगल बेसिन सिस्टम):-
1) One way system (वन वे सिस्टम)
2) Two-way system (टू वे सिस्टम)
3) Two-way with pump storage (टू वे सिस्टम पंप के साथ)
B) Double basin system(डबल बेसिन सिस्टम):-
1) Simple double basin(सिंपल डबल बेसिन)
2) Double basin with pumping (डबल बेसिन सिस्टम पम्पिंग के साथ) -
समुद्र से प्राप्त ऊर्जा से क्या हानिया है? ( What are disadvantages of tidal energy?)
1) इसके निर्माण का खर्चा ज्यादा होता है और इसको बनाने के लिए ज्यादा समय की जरुरत होती है |
2) इससे सीमित पैमाने पर ही पावर को उत्पन्न किया जा सकता है |
3) इस पावर स्टेशन को बनाने के लिए बोहोत कम जगहे उपलभ्द है |
4) बेसिन में sedimentation का प्रॉब्लम आता है याने की बेसिन के तल पर कचरा जमा हो जाता है |
5) समुद्र के पानी से जंग लगता है |
6) इसके ऑपरेशन में बदलाव होता रहता है |
7) इसकी वजह से समुद्र का जन जीवन प्रभावित होता है | -
ज्वारीय ऊर्जा के 5 फायदे बताइए (What are the 5 advantages of tidal energy)
1) यह ऊर्जा मुफ्त में उपलब्ध है और यह ऊर्जा का अक्षय श्रोत है |
2) इससे किसी तरह का प्रदुषण नहीं होता है |
3) यह ऊर्जा मानसून के ऊपर निर्भर नहीं होती है |
4) इनके इस्तेमाल से आजू बाजु के इलाके में बिजली की सप्लाई की जा सकती है |
5) पुरे साल भर लगातार ऊर्जा मिलती रहती है क्यू की ज्वार का चक्र लगातार चलता रहता है | -
कोनसे देश में सबसे बड़ा ज्वार बिजली सयंत्र है?(Which country has word’s largest tidal power plant ?)
South korea (साउथ कोरिया) जिसका नाम Sihwa lake tidal power station जिसकी क्षमता 254 MW है |
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Tidal energy को उत्पन्न करने के लिए कोनसे टरबाइन का इस्तेमाल किया जाता है?
Kaplan turbine