
तो दोस्तों आज के power factor in hindi इस आर्टिकल में हम पावर फैक्टर क्या होता है, इसके फायदे क्या है और इसकी वजह से कोनसे नुकसान होते है। और साथी साथ जानेंगे की पावर फैक्टर कम क्यू हो जाता है और इस पावर फैक्टर को किस तरह से सुधार जाये।
पावर फैक्टर क्या होता है?
परिभाषा:- Ac सर्किट में वोल्टेज और करंट के बिच में के cosine angle को पावर फैक्टर कहा जाता है।
अगर हम Ac सर्किट में देखे तो वहा आम तौर पर वोल्टेज और करंट के बिच में phase difference होता है। और अगर inductive circuit की बात की जाये तो जो वोल्टेज सप्लाई दिया जाता है उससे करंट lag करता है और उसकी वजह से पावर फैक्टर lagging याने की पीछे रह रहा है यह संदर्भित किया जाता है।
अगर Capacitive circuit की बात की जाये तो करंट lead करता है वोल्टेज के मुकाबले इसी लिए इस सर्किट के पावर फैक्टर को leading कहा जाता है।
Inductive circuit का अगर उदाहरण लिया जाये तो उसमे करंट I जो की सप्लाई वोल्टेज से lagging हो रहा है और उसका angle याने की कोण होगा ф और इसे ही फेज अन्गल कहा जाता है। निचे हम इसके phasor diagramको देख सकते है।

यहाँ पर करंट I दो कॉम्पोनेन्ट में divide कर सकते है इसे से एक फसेर वोल्टेज के साथ होता है और दूसरा उसके perpendicular याने सीधा होता है। जो कॉम्पोनेन्ट phasor वोल्टेज के साथ होता है जो की I cos ф है उसे करंट के in-phase या active component कहा जाता है। और जो perpendicular होता है जो की I sin ф उसे out of phase या wattless या करंट का reactive component कहा जाता है।
अगर सभी कंपोनेंट्स को वोल्टेज V से multiply किया जाये तो वोल्टेज और in-phase component करंट याने I cos ф के product याने VI cos ф उस सर्किट की true power कहा जाता है जो की watt या kW में होता है।
दूसरी तरफ वोल्टेज V और करंट के quadrature component याने I sin ф याने के VI sin ф को उस सर्किट का reactive power कहा जाता है और इसे दर्शाने के लिए VARs और kVARs का इस्तेमाल किया जाता है।
और वोल्टेज V और करंट I के product को याने VI को apparent power कहा जाता है और इसे volt-amperes या kVA से दर्शाया जाता है। उसी से हमें power triangle मिलता है जिसे हम निचे दिखाए चित्र में देख सकते है।

Power factor formula (पावर फैक्टर फार्मूला):-
ऊपर दिखाए चित्र में से power angle OAB को देखा जाये तो।
OA = kW component of power
AB = kVAR component of power
Cos ф = OA / OB = kW / kVA, ……… ratio true power और apparent power
Reactive power in kVAR = apparent power X sin ф
= kVA sin ф
= (kVA cos ф) X sin ф / cos ф = kW tan ф
इससे हमें ये पता चलता है कि अगर reactive component की power कम होगी तो phase angle भी कम होगा और पावर फैक्टर ज्यादा होगा।
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Disadvantages of low power factor in hindi (कम पावर फैक्टर के नुकसान):-
खराब पावर फैक्टर की वजह से सिस्टम के ऊपर ख़राब असर पड़ता है उसकी वजह से कुछ नुकसान होते है जो की निचे दिए गए है।
- Genarators और transformer की rating output करंट के ऊपर proportional होती है, और हमें पता है की जैसे ही करंट बढेगा वैसे ही power factor poor याने ख़राब होता जायेगा इसलिए इनकी kVA rating बढ़ानी पड़ती है।
- अगर पावर फैक्टर कम हो जाता है उसकी वजह से उतनी ही मात्रा में power को भेजने के लिए बड़े आकार के bus-bar की और switch gear के contact की size जरुरत पड़ती है।
- अगर उतनी ही power को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजना हो और पावर फैक्टर कम हो तो उसकी वजह से करंट ज्यादा लगेगा और us ज्यादा करंट की वजह से conductor का आकार बढ़ जायेगा।
- अगर power factor कम होगा तो उसके कारन energy losses भी ज्यादा होंगे उसकी वजह से efficiency ख़राब या कम हो जाएगी।
- Lagging power factor की वजह से generator,transformer, transmission line और distributors में बोहोत ज्यादा वोल्टेज ड्राप होगा।
- Voltage regulation करना भी कठिन हो जायेगा।
- Copper lossesभी ज्यादा होंगे।
- पावर फैक्टर अगर हद से कम तो उसकी वजह से panelty भरनी पड़ती है।
Causes of low power factor (पावर फैक्टर कम होने के कारन ):-
- सभी तरह के ac motors ( synchronous motors और कुछ commutator motors को छोड़ कर ) और transformer lagging power factor के ऊपर काम करते है। जभ भी load कम होता है वैसे ही power factor भी कम होता है।
- Electric discharge lamp और arc lamp low lagging power factor पर काम करते है।
- सप्लाई में बढ़त होने के कारन यह तब होता है जब लंच होता है या फिर रात के समय पुरे electrical plant का पावर फैक्टर कम हो जाता है।
- अगर मोटर की देखभाल याने maintenace अच्छे से ना हो पाए और repair ठीक से ना हो तो उसके कारन भी power factor कम हो जाता है। मैग्नेटिक फ्लक्स के leackage के कारन भी power factor कम हो जता है।
- इंडस्ट्रीज में इस्तेमाल होने वाले हीटिंग फर्नेस जैसे की arc और induction furnaceबोहोत कम power factor के ऊपर काम करती है।
निचे हम load और उसके power factor देख सकते है।
Types of load | Power factor |
Incandescent lamps | 0.98 – 1.0 |
Fluorescent lamps | 0.6 – 0.8 |
Arc furnace | 0.85 |
Fans | 0.5 – 0.8 |
Neon lamps | 0.4 -0.5 |
Induction motor | 0.5 – 0.85 |
Resistance welder | 0.3 – 0.75 |
Arc welder | 0.3 – 0.4 |
Resistance furnace | 0.6 – 0.9 |
Induction furnace | 0.6 |
Arc furnace | 0.85 |

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Power factor improvement in hindi (पावर फैक्टर सुधार के तरीके):-
Power factor सिर्फ ac सर्किट में ही होता है, इसकी परिभाषा को देखे तो ये होता है वोल्टेज और करंट के बिच में का phase difference,
Cos ф = Active power / Apparent power
पावर फैक्टर को सुधारने के लिए निचे दिए गए तरीके का इस्तेमाल किया जाता है।
- By use of static capacitor (स्टाटिक कैपासिटर का इस्तेमाल करके )
- By use of synchronous और high power factor machines ( सिंक्रोनस या ज्यादा पावर फैक्टर वाले मशीन का इस्तेमाल करना )
- Location of P.F correction equipment (पावर फैक्टर यंत्र का सही जगह पर इस्तेमाल करना )
A) By use of static capacitor (स्टाटिक कैपासिटर का इस्तेमाल करके):-
पावर फैक्टर को सुधारने के लिए मूल रूप से वोल्टेज और करंट के बिच के phase difference को कम करना, हम जो इस्तेमाल करते ही वो ज्यदा तर inductive load ही होते है।
Power factor को सुधारने के लिए capacitor का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए capacitor को यंत्र के parallel याने की समानांतर में जोड़ा जाता है, जो यंत्र lagging power factor के ऊपर कम करता है जैसे की इंडक्शन मोटर, फ्लुरेसेंत ट्यूब।
capacitor के इस्तेमाल का यह फायदा है की इसमे बोहोत कम losses याने की 1/2 % losses होते है और इसकी efficiency ज्यादा याने 99.6% तक होती है।
साथी साथ इसको इस्तेमाल करने के कुछ फायदे भी है जैसे की इसका initialcost कम होता है, इसमे कम रख रखाव की जरुरत पड़ती है, और इसमे कोई घुमाने वाला हिस्स भी नहीं होता है।
इसको install करना याने is यंत्र को लगाना भी बोहोत आसान होता है इसका वजन भी कम होता है और यह साधारण condition में बोहोत अच्छी तरह से कम करता है।
Static capacitor को इस्तेमाल करने के कुछ नुकसान भी है जैसे की इसकी life याने कम करने का समय कम होती है याने 8 से 10 साल तक। और overvoltage और uneconomical repair की वजह से भी ख़राब हो सकता है।
निचे दिखाए चित्र में हम देख सकते है की 3 फेज load में capacitor का इस्तेमाल किस तरह से किया जाता है। image
Power factor को सुधारने के लिए static capacitor को सीरीज में भी लगाया जाता है
B) By use of synchronous और high power factor machines:-
Synchronous machine के excitation के लिए dc सप्लाई का इस्तेमाल किया जाता है। और पावर फैक्टर को नियंत्रित करने के लिए field excitation का इस्तेमाल किया जाता है।
Power factor को ठीक करने के लिए कई प्रकार की synchronous machine उपलब्ध है जैसे की synchronous motor, synchronous condensers, synchronous converter, synchronous phase modifiers, phase advancers, और synchronous induction motors इन्ही सभी के बारेमे हम निचे विस्तार में चर्चा करेंगे।
1) By use of synchronous motor (सिंक्रोनस मोटर का इस्तेमाल):-
इसके कुछ विशेषताएँ की वजह से इसका इस्तेमाल बोहत सारी जगह पर किया जाता है। इसकी गति एकसमान होती है साथी साथ कार्यक्षमता भीअच्छी होती है, साथी साथ वोल्टेज के थोड़े बोहोत बदलाव से भी इसपर बोहोत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है।
synchronous motor को 1.0 से 0.8 तक के leading power factor के हिसाब से डिजाईन किया जाता है। अगर मोटर का पावर फैक्टर unity याने एक है तो us मोटर की कीमत भी कम होती है और कार्यक्षमता भी ज्यादा होती है।
2) By use of synchronous condensers (सिंक्रोनस कंडेंसर का इस्तेमाल):-
जो overexcited सिंक्रोनस मोटर no load पर चलती है उन्ही को सिंक्रोनस कंडेंसर या सिंक्रोनस फेज एडवांसर कहा जाता है। और यह capacitor i तरह काम कराती है।
synchronous condenser का इस्तेमाल उसी तरह से होता है जिस तरह से shunt capacitors सप्लाई में लगे हो।
सिंक्रोनस कंडेंसर का इस्तेमाल जहा पर्ज्यद kVAR की जरुरत होती है उन्ही जगह परेस्तेमल किया जाता है जैसे की 5000 kVAR और उससे ज्यादा।
लेकिन 5000 kVAR के उपरेस्तेमल करने से इसकी कीमत भी बढ़ जाती है। और ऑपरेटिंग और मेंटेनेंस मूल्य भी ज्यादा हो जाता है, कार्यक्षमता भी कम यने 97% तक हो जाती है।
3) By using phase advancers (फेज एडवांसर का इस्तेमाल):-
इंडक्शन मोटर के पावर फैक्टर का कम होना मुक्य तोर पर excition current के कम होने के कारन होता है। इसको ठीक करने के लिए ac exciter या phase advancer की मदद ली जाती है।
एस exciter को कुख्य मोटर के शाफ़्ट पर लगाया जाता है। Phase advancer के इस्तेमाल का फय्द्ये है की जहा पर सिंक्रोनस मोटर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है वहा पर phase advancer का इस्तेमाल किया जाता है।
4) By using of synchronous induction motor (सिंक्रोनस इंडक्शन मोटर का इस्तेमाल):-
यह कुछ खास तरह की मोटर होती है जो की सिंक्रोनस मोटर पर भी ऑपरेट होती है और इंडक्शन मोटर पर भी ऑपरेट होत्टिया है।
5) By using high power factor motor (ज्यादा पावर फैक्टर वाले मोटर का इस्तेमाल):-
सिंक्रोनस मोटर और सिंक्रोनसइंडक्शन मोटर को छोड़ कर और भी कुछ मोटर है जो की unity याने एक पावर फैक्टर तक काम करती है जैसे की compensated induction motors, schrage motors. इन मोटर का मूल्य ज्यादा होताहै साथी साथ इनके maintenace याने रख रखाव का खर्चा भी ज्यादा होता है।
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C) Location of power factor correction equipment (पावर फैक्टर यंत्र का सही जगह पर इस्तेमाल करना ):-
पावर फैक्टर यंत्र का वहा इस्तेमाल करना बहेतर होता ही जिस जगह पर कोई उपकरण कम पावर फैक्टर के लिए जिम्मेदार है। synchronous condenser का इस्तेमाल जिस load centre पर इस्तेमाल किया जाता है जहा पर बोहोत ज्यादा kVAR करेक्शन की जरुरत होती है।
और static capacitor का इस्तेमाल छोटे यूनिट के लिए किया जाता है। ट्रांसमिशन सिस्टम में सिंक्रोनस कंडेंसर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि पावर फैक्टर बेहतर हो सके इसके लिए उस यंत्र को receiving end पर लगाया जाता है।
Advantages of power factor improvement (पावर फैक्टर सुधारने से फायदे ):-
करंट में या फिर पावर फैक्टर में किसी बदलाव के कारन टर्मिनल वोल्टेज में भी बदलाव होता है, इसलिए वोल्टेज का एक जैसा रहना जरूरी होता हैउसके लिए पावर फैक्टर कण्ट्रोल की जरूरत होती है।
अगर सप्लाई का या पावर स्टेशन का power factor यूनिटी याने की एक तक पहुच जाता है तो उसकी वजह से उसी पावर के अनुपात के लिए कम करंट की लागत लगेगी।
इस कारन की वजह से ट्रांसमिशन लाइन में कम कॉपर लोस होते है और वोल्टेज ड्राप भी कम होता है।
अच्छे पावर फैक्टर की वजह से load करेंट कम हो जाता है। वोल्टेज लेवल में बढ़त अति है। कम एनर्जी लोसेस होते है।
पावर फैक्टरक्या है? (What is the power factor?)
Ac सर्किट में वोल्टेज और करंट के बिच में के cosine angle को पावर फैक्टर कहा जाता है।
पावर फैक्टर एक से ज्यादा क्यू नहीं हो सकता है? (Why power factor not more than unity?)
पावर फैक्टर वोल्टेज और करंट के बिच में के cosine angle होता है और यह कभी भी 1 से ऊपर नहीं जा सकता है।
पावर फैक्टर का इतेमाल किस तरहसे किया जाता है ?(How to use power factor?)
एकी मदद से हम यह जान सकते है की हम कितनी अच्छी तरह से electricity का इस्तेमाल कर रहे है।
अच्छा पावर फैक्टर कितना होता है?( How much is good p.f?)
Unity याने की एक।
भारत में कितना पावर फैक्टर होता है?(What is power factor in india?)
भारत में अगर पावर फैक्टर 0.85 सेनिचे चला जाता है तब उपभोक्ता को जुरमाना भरना पद सकता है।
पावर फैक्टर का फार्मूला क्या है ?(What is फार्मूला for p.f?)
p.f= real power / apparent power
कम पावर फैक्टर के क्या नुकसान है ?( What are disadvanage of low p.f?)
1)अगर power factor कम होगा तो उसके कारन energy losses भी ज्यादा होंगे उसकी वजह से efficiency ख़राब या कम हो जाएगी।
2)Lagging power factor की वजह से generator,transformer, transmission line और distributors में बोहोत ज्यादा वोल्टेज ड्राप होगा।
3)Voltage regulation करना भी कठिन हो जायेगा।
4)Copper lossesभी ज्यादा होंगे।
5)पावर फैक्टर अगर हद से कम तो उसकी वजह से panelty होती है।
6) अगर उतनी ही power को एक जगह से दूसरी जगह पर भेजना हो और पावर फैक्टर कम हो तो उसकी वजह से करंट ज्यादा लगेगा और us ज्यादा करंट की वजह से conductor का आकार बढ़ जायेगा।
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तो दोस्तों आज हमने Power factor in Hindi इस आर्टिकल में पावर फैक्टर क्या होता है ? यह जानने की कोशिश की साथी साथ इससे होने वाले फायदे और,उपयोग के बारेमे भी जाना। अगर यह आर्टिकल या लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ facebook पर जरूर शेयर करना और इस लेख को पढ़कर आपको कैसा लगा वो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखना कुछ सुझाव हो तो भी कमेंट में जरूर लिखना।
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