तो दोस्तों आज resistor in hindi इस आर्टिकल में हम resistor को बोहोत ही आसान भाषा में समाज ने वाले resistor क्या होता है ?, resistor working और इसके प्रकार साथी साथ इस्तेमाल के बारे में भी जानेंगे
What is resistor? ( प्रतिरोध क्या है ?) :-
Resistor को हिंदी में प्रतिदोध कहा जाता है, यह एक इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक्स का पार्ट है | इसको हम इस तरह से समाज सकते है की यह एक susbtance याने पदार्थ का गुण है की जिसकी वजह से electricity या electrical करंट को उसमे से बहने को रोकता है |
Resistance working ( Resistance कैसे काम करता है ? ):-
अगर हम देखे तो एसिड और साल्ट सोलुशन होते है वह इलेक्ट्रिसिटी को अच्छे से कंडक्ट कर सकते है | लेकिन जो शुध्य धातु जैसे की चांदी (silver), तांबा ( copper ), अल्युमीनियम (aluminium ) ये इलेक्ट्रिसिटी के बोहोत ही अच्छे कंडक्टर होते है |
इस लिए silver, copper, और aluminium का इस्तेमाल इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु बनाने में बोहोत किया जाता है | जिस चीज में से इलेक्ट्रिकल करंट बहता है उसे conductor कहा जाता है और जिस चीज से इलेक्ट्रिकल करंट नहीं जा सकता उन्हें insulator कहा जाता है |
What is resistor in hindi |
कभी कभी हमें इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में कम करंट जरुरत होती है उस समय रेसिस्टर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि जितना चाहिए उतना करंट आगे जा सके क्यू की की हम रेसिस्टर को इस तरह बना सकते है की हमें चाहिए उतना ही करंट उसमे से जाये |
Electrons के बहाव को रोकने वाले चीजों को resistor या resistive material कहा जाता है | इनके कुछ उदहारण है जैसे की bakelite, mica, glass (कांच ), rubber, p.v.c ( polyvinyl chloride ) और सुखी लकड़ी ये सब इंसुलेटर के उदहारण है |
ऊपर दिखाए इंसुलेटर से भी अच्छे इंसुलेटर जैसे की paper जिसका इस्तेमाल dc motor , ac motor pr transformer में इंसुलेटर के लिए किया जाता है , minaral oil जिसका इस्तेमाल transformer oil में किया जाता है, साथी साथ ceramic hard porcelain जिनका इस्तेमाल insulator बनाने में किया जाता है |
What is resistance in hindi ? ( रेजिस्टेंस क्या है ?) :-
बोहोत सारे दोस्तों के मन सवाल होगा की resistor और resistance एक ही है तो चलिए इसे समझते है | तो resistar एक वस्तु या इलेक्ट्रिकल में इस्तेमाल होने वाला एक component है और अंदर resistance होता है |
जब हम किसी इलेक्ट्रिकल दुकान से रेसिस्टर खरीदने जाते है तो हमें उन्हें कितने रेसिस्टर चाहिए ये बताना पड़ता है याने ये वस्तु है साथ उस रेसिस्टर का कितना रेजिस्टेंस है ये भी बताना पड़ता है |
Unit of resistance ( रेजिस्टेंस का यूनिट क्या है ?) :-
Resistance का यूनिट Ohm ( ओहम ) है | Ohm का sysmbol ‘Ω‘ है | अगर किसी conductor का रेजिस्टेंस 1 ohm होता तब उसमे में 1 ampere का करंट जाता है जब उसके टर्मिनल में सप्लाई दिया जाता है |
What is resistor in hindi |
जिन इंसुलेटर का रेजिस्टेंस बोहोत ज्यादा होता है उसके लिए बड़े यूनिट का इस्तेमाल किया जाता है जैसे की mega-ohm = 10⁶ ohm ( mega = million ) और killo-ohm = 10³ ohm ( killo = thousand ) का इस्तेमाल किया जाता है |
अगर रेजिस्टेंस बोहोत कम होता है तब milli-ohm = 10⁻³ ohm और micro-ohm = 10⁻⁶ ohm का इस्तेमाल किया जाता है |
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Resistance depends on following factor ( रेजिस्टेंस किस पर निर्भर होता है ?) :-
- यह कंडक्टर के लम्बाई ‘l’ पर निर्भर होता है अगर लम्बाई बढ़ती है तो रेजिस्टेंस भी बढ़ेगा |
- यह कंडक्टर के क्रॉस-सेक्शन ए के विपरीत भिन्न होता है |
- Resistance मटेरियल के nature पर भी निर्भर होता है |
- Conductor ते तापमान पर |
What is resistor in hindi |
Effect of temperature on resistance ( तापमान का रेजिस्टेंस पर असर ) :-
- अगर शुद्ध धातु रेजिस्टेंस बढ़ता है वो भी रेगुलर और नार्मल तापमान तब धातु में positive temperature co-efficient of resistance होता है |
- अगर कोई allloy याने मिश्र धातु हो और उसका रेजिस्टेंस बढे तब इफ़ेक्ट तापमान पर नहीं होता है |
- अगर electrolytes में insulator में रेजिस्टेंस कम होता है तब partial कंडक्टरयाणे की carbon हो सकता है |
Types of resistor ( रेसिस्टर के प्रकार ) :-
a) Fixed resistor (फिक्स रेसिस्टर ) :-
यह बोहोत सिंपल रेसिस्टर है इसका चित्र हम निचे देख सकते है | जैसे की नाम से ही पता चल रहा है इसका रेजिस्टेंस फिक्स याने की एक जैसे ही रहता है, इसलिए इसका इस्तेमाल वहा पर किया जाता है जहा पर फिक्स resistane की जरुरत होती है |
इस resistorको बनाते समय ही अपने हिसाब से इसका मूल्य फिक्स किया जाता है इसलिए बाद में इसका value नहीं बदला जा सकती है |
रेजिस्टेंस को मापने के लिए megger कस इस्तेमाल किया जाता है |
Types of fixed resistor ( फिक्स रेसिस्टर के प्रकार ) :-
1) Carbon composition resistor ( कार्बन कम्पोजिसन रेसिस्टर ):-
इस रेसिस्टर को बनाने के लिए कार्बन पार्टिकल्स और binding resin का इस्तेमाल इनके गुणों के हिसाब से किया जाता है ताकि हमें जितना चाहिए उतना resistance मिल सके | resistive element के दोनों साइड में मेटल caps लगाये जाते है और उनकी मदद से copper wire को बाहर निकाला जाता है, उन दोनों सिरों को circuit में soldering किया जाता है |
यह resistor प्लास्टिक में लपेटा हुआ होता है ताकि किसी तरह की नमी और हानिकारक तत्व अन्दर न जा सके | यह बोहोत सारे प्रकार में उपलब्ध होते है जैसे की 1/8, 1/4, 1/2, 1, और 2 W. और वोल्टेज रेटिंग में 250, 350 और 500 V में उपलब्ध होते है |
यह resistor बोहोत कम बार असफल होते है | इसमे electrical नॉइज़ उत्पन्न होती है | इनका इस्तेमाल entertainment electronics में बोहोत ज्यादा किया जाता है |
2) Deposited carbon resistor ( डिपोजीटेटेड कार्बन रेसिस्टर) :-
इस resistor में ceramic rods होती है और उसपे carbon film deposited होती है | इनको बनाने के लिए carbon rods को methane से भरे फ्लास्क में गरम किया जाता है, gascracking प्रक्रिया का मदद से उसमे ऊपर carbon की film बैठ जाती है |
Carbon composition resistor के मुकाबले उनमे बोहोत कम electrical नॉइज़ उत्पन्न होती है |
3) High voltage ink film ( हाई वोल्टेज इंक फिल्म) :-
इसमे ceramic का base होता है उसके बाद उसमे कुछ खास तरह की ink को helical band में दाल दिया जाता है | एन resistor की यह खासियत है की यह बोहोत ज्यादा वोल्टेज को भी सह सकते है, और इनका बोहोत ज्यादा इस्तेमाल कैथोड रे सर्किट में और राडार साथी साथ मेडिकल electronic में किया जाता है |
इसकी रेजिस्टेंस रेंज 1 Ωk से 10000 MΩ तक होती है और वोल्टेज रेंज 1000 kV तक होती है |
4) Metal film resistor ( मेटल फिल्म रेसिस्टर) :-
एन resistor को बनाने के लिए ceramic rod पर vaporized metal को vacuum के अनादर deposited किया जाता है | इस रेसिस्टर की सहनशीलता याने tolarance capacity बोहोत अच्छी होती है साथी साथ temeprature coefficient और ये अत्यंत विश्वसनीय होते है |
एन सब खूबियों की वजह से इनका इस्तेमाल ऊंची श्रेणि के उपकानो में किया जाता है क्यू की इनका मूल्य ज्यादा होता है |
5) Metal Glaze ( मेटल ग्लाज़ ) :-
इस तरह का रेसिस्टर बनाने के लिए metal glass mixture का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी वजह से एक थिक फिल्म बन जाती है | इसकी वैल्यू इस चीज पर निर्भर होती है की mixture में कितना धातु है | Helix-grinding की मदद से रेजिस्टेंस की वैल्यू को 1 से लेकर mega ohms तक ले जा सकते है |
6) Wire-wound ( वायर वौन्ड ) :-
यह रेसिस्टर बाकि के सभी रेसिस्टर से अलग होता है क्यू की इस रेसिस्टर को बनाने के लिए किसी प्रकार का फिल्म या फिर resistive coatingका इस्तेमाल नहीं किया जाता है |इसमे ceramic core wound होता है उसके साथ एक wire होती है उसकी सटीक रूप से नियंत्रित विशेषताएं होती है |
अलग अलग रेजिस्टेंस रेंज के लिए अलग अलग alloy wire का इस्तेमाल किया जाता है | इस तरह के रेसिस्टर की स्थिरता और पॉवर rating बोहोत अछि होती है | इनका मूल्य ज्यादा होता है |
7) Cermet ( Ceramic metal ) ( सर्मेट ) :-
एन resistor को बनाने के लिए metal को जो की ceramics से ब्लेंड किये होते है उन्हें ceramic substrat के ऊपर फ़ायर किया जाता है | इसके resistor के resistance की मात्रा मिक्स किस तरह का है और उसकी thickness कितनी है उसपर निर्भर होता है |
इस resistor की वैल्यू बोहोत सटीक होती है और इसकी stability भी बोहोत अछि होती है |
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b ) Variable resistor ( वेरिएबल रेसिस्टर ) :-
Variable resistor इस नाम से ही पता चल रहा है की इसके resistor की मात्रा को हम change कर सकते है | जितने resistance की जरुरत है उतना रेजिस्टेंस हम adjust कर सकते है |
इसमे रेजिस्टेंस की मात्रा को अपने हिसाब से बदलने के लिए एक knob दिया होता है उसकी मदद से हम resistance की मात्रा को कम ज्यादा करते है | इसमे सबसे कम और सबसे ज्यादा याने minimum और maximum resistance की मात्रा को निर्धारित किया होता है |
इनका इस्तेमाल वॉल्यूम को कम ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
Types of Variable resistor ( वेरिएबल रेसिस्टर के प्रकार ) :-
1) Thermister ( थर्मिस्टर ):-
Thermistor एक तापमान पर निर्भर resistor है | इसको बनाने के लिए सेमीकंडक्टर मेटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है | अगर रेजिस्टेंस में बदलाव होता है तब तापमान में nonlinear बदलाव होता है | Thermistor का इस्तेमाल तापमान मापने की रेंज को देखा जाये तो -100 ℃ से लेकर 300 ℃ तक का तापमान मापा जा सकता है |
Thermistor को बनाने के लिए कुछ मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है जैसे की manganese के metalic oxides के sintered mixture का और nickel, cobalt, iron, copper, का इस्तेमाल किया जाता है |
इनका इस्तेमाल जैव चिकित्सा उपकणोंमे और गैसेस के प्रभाव, liquids के level याने स्तर, flow याने बहाव, और pressure याने दबाव को मापने के लिए और मोटर वाहन में में इनका इस्तेमाल किया जाता है |
इसका आकार छोटा होता है, compact याने सघन, और मजबूत होता है | इनको इस्तेमाल करना आसान है |
2) Potentiometer ( पोटेंशियोमीटर ) :-
potentiometer एक ऐसा यंत्र है जिसका इस्तेमाल करके हम अज्ञात voltage को माप सकते है, इस voltage का पता लगाने के लिए हमें एक ज्ञात voltage का सहारा लेते है जिसको हम reference source और standard cell भी बोल सकते है |
इसका इस्तेमाल करंट को मापने के लिए भी होता है, इसमे voltage drop कितना होता है इसका इस्तेमाल किया जाता है |
What is resistor in hindi |
इसमे अज्ञात emf को बोहोत ही सतिक तरीको से मापा जा सकता है | यह बोहोत ही सवेदनशील है |इसका इस्तेमाल cell के अंतर्गत resistance को मापने के लिए किया जाता है, साथी साथ कैलिब्रेशन of ammeter,voltmeter और wattmeter में होता है |
इसका इस्तेमाल मेडिकल उपकरणों में किया जाता है |Radio और Television में इसका इस्तेमाल volume control याने आवाज को कम ज्यादा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |Voltage divider में इसका इस्तेमाल किया जाता है |
3) Rheostats ( रियोस्टैट ):-
Rheostat की मदद से हम करंट को कण्ट्रोल कर सकते है | इसकी बनावट और potentiometer की बनावट एक जैसी होती है इसमे दो या तिन टर्मिनल्स होते है उनकी मदद से resistance को कम या फिर ज्यादा अपने हिसाब से किया जाता है |
Rheostat के sliding को हमें आगे या पीछे करना होता है याने ये मैन्युअल हे आगे और पीछे करने से उसमे ज्यादा resistance जुड़ता जाता है या फिर कम होता जाता है |
इसको बनाने के लिए ceramic core के ऊपर nichrome की wire को लपेटा जाता है इस पुरे ढांचे को प्रोटेक्टिव शील्ड में रखा जाता है |
जहा पर ज्यादा वोल्टेज और करंट की जरुरत होती है वहा पर इनका इस्तेमाल किया जाता है |
Resistor connections ( रेसिस्टर कनेक्शन ):-
किस सर्किट में अगर हमें resistor का इस्तेमाल करना हो तो हम दो तरह से इस्तेमाल कर सकते है एक Series connection और दूसरा parallel connection | यह दोनों connection किस तरह किये जाये है ये हम निचे देख सकते है |
Series connection ( श्रृंखला कनेक्शन ) :-
अगर सभी रेसिस्टर को सीरीज में लगाया जाये तो और आखिर में रेजिस्टेंस निकाले तब हमें कुल रेजिस्टेंस मिलेगा | इस connection में सभी रेसिस्टर के अन्दर से सामान करंट जाता है, लेकिन हर एक रेसिस्टर में वोल्टेज ड्राप अलग अलग होता है यह हमें ohms law से मिलता है |
What is resistor in hindi, |
तीनो रेसिस्टर में से जाने वाले वोल्टेज को अगर मिलाया जाये तो वो पुरे सर्किट में दिए गए वोल्टेज के बराबर होगा |
Parallel connection ( समानांतर कनेक्शन ) :-
जैसे की हम ऊपर दिखाए चित्र देख सकते है की resistor को series में किस तरह से connect किया जाता है | यहाँ पर सभी resistor में पोटेंशियल डिफरेंस समान होता है | और हर रेसिस्टर से अलग करंट गुजरता है, सभी रेसिस्टर के करंट को मिलाया जाये तो वो सप्लाई के समान होगा |
What is resistor in hindi |
How to measure resistance value ( रेजिस्टेंस की मात्रा को कैसे पता करे ) :-
Resistor का रेजिस्टेंस दो प्रकार से माप सकते है |
- Multimeter का इस्तेमाल करके |
- Color code की मदद से |
मल्टीमीटर की मदद से बड़ी आसानी से हम रेसिस्टर के रेजिस्टेंस की मात्रा को माप सकते है उसके लिए हमें मल्टीमीटर पर knob को ohm पर रखना होता है उसके बाद रेसिस्टर के दोनों सिरों पर मल्टीमीटर की तारो पर लगाने से हमें डिस्प्ले पर रेजिस्टेंस की वैल्यू दिखती है |
Color code की मदद से रेजिस्टेंस को मापने के लिए हमें कुछ calculations करने पड़ते है | रेसिस्टर के उपाय कुछ कलर के band होते है और हर band ली मात्रा अलग अलग होती है |
Color code की मदद से रेजिस्टेंस की वैल्यू को किस तरह से पता किया जाता है ये हम दुसरे आर्टिकल में विस्तार से देखेंगे |
What is resistor in hindi |
Advantages of resistor ( रेसिस्टर के फायदे ) :-
- Resistor का आकार बोहोत छोटा होता है, इस के कारन इनको कही भी ले जानाबोहोत ही आसान है |
- इनकी कीमत बोहोत ही कम होती है इसके कारन अगर resistor ख़राब हो जाता है तो उसे आसानी से बदला जा सकता है |
- Resistor को चलाने के लिए किसी तरह की बाहरी सप्लाई की जरुरत नहीं होती है, इसलिए इन्हे चलाने के लिए बाहरी वोल्टेज या एनर्जी की जरुरत नहीं पड़ती है |
- उनकी बनावट बोहोत आसान साथी साथ काम करने का तरीका भी बोहोत आसान होता है |
- इनका इस्तेमाल बोहोत महत्वपूर्ण होता है लगभग सभी electrical उपकानो में इसका इस्तेमाल किया जाता है
- Resistors हमें जिस रेंगे याने श्रेणी में चाहिए उन श्रेणी में आसानी से उपलब्ध होती है |
- इनके काम करने का अंतराल बोहोत ज्यादा होता है एक बार लगाने के बाद ये सालो साल तक अच्छे से काम करते रहते है |
Disadvantages of Resistor ( रेसिस्टर के नुकसान ) :-
- अगर बोहोत ज्यादा resistance वाले resistor का इस्तेमाल किया जाये तो उसके कारन वो बोहोत ज्यादा करंट को appose करेगा उसके कारन बोहोत ज्यादा energy loss होंगे उसके कारन resistor गरम हो जायेगा |
- रेसिस्टर में शोर्ट सर्किट होने की संभावना होती है |
- इनका इस्तेमाल आवाज को कम ज्यादा करने में किया जाता है अगर वहा पर corrosion या dust फास जाती है तो उसके कारन आवाज पर असर पड़ता है |
- इनमे stability का याने स्थिरता का प्रॉब्लम भी आता है अगर electrical, mechanical या thermal stress पड़े तो उसके कारन resistance की value में बदलाव आ सकता है |
Application of Resistor ( रेसिस्टर के उपयोग ) :-
- इनका इस्तेमाल मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है |
- DC पॉवर सप्लाई में इस्तेमाल किया जाते है |
- जो पॉवर कण्ट्रोल सर्किट होती है उनमे बोहोत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है |
- फ़िल्टर सर्किट में भी इस्तेमाल किये जाते है |
- साथी साथ digital multimeter, amplifiers, telecommunication में इस्तेमाल किया जाता है |
- Instrumentation applications में इस्तेमाल किया जाता है |
- वोल्टेज रेगुलेटर सर्किट में इस्तेमाल होता है |
Question and answer related to resistor ( रेसिस्टर से जुड़े प्रश्न उत्तर ):-
- Metal film resistors
- Thin film resistors
- Thick film resistors
- Carbon composition resistors
- Wire wound resistors
- Metal oxide resistors
- Cermet oxide resistor
- Resistor का आकार बोहोत छोटा होता है, इस के कारन इनको कही भी ले जानाबोहोत ही आसान है |
- इनकी कीमत बोहोत ही कम होती है इसके कारन अगर resistor ख़राब हो जाता है तो उसे आसानी से बदला जा सकता है |
- Resistor को चलाने के लिए किसी तरह की बाहरी सप्लाई की जरुरत नहीं होती है, इसलिए इन्हे चलाने के लिए बाहरी वोल्टेज या एनर्जी की जरुरत नहीं पड़ती है |
- उनकी बनावट बोहोत आसान साथी साथ काम करने का तरीका भी बोहोत आसान होता है |
- इनका इस्तेमाल बोहोत महत्वपूर्ण होता है लगभग सभी electrical उपकानो में इसका इस्तेमाल किया जाता है