तो दोस्तों welding in hindi इस आर्टिकल में हमने वेल्डिंग के बारेमे जाना, आज के इस पोस्ट में हम वेल्डिंग के एक प्रकार Resistance welding in hindi की पूरी जानकारी लेने वाले है। इसका पूरा स्पष्टीकरण प्रकार और उपयोग के बारेमे जानेंगे।
Resistance welding in Hindi (प्रतिरोध वेल्डिंग क्या है?):-
परिभाषा:- रेजिस्टेंस वेल्डिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे दो मेटल के बिच में से बोहोत ज्यादा इलेक्ट्रिकल करंट को भेजा जाता है, दोनों मेटल जहा वेल्ड होने वाला है वहा पर एक दुसरे से जुड़े हो, जब बोहत ज्यादा करंट मेटल में से गुजरता है तब रेजिस्टेंस की वजह से धातु पिघल जाता है और दो धातु एक दुसरे में वेल्ड हो जाते है |
Resiatance welding में बोहोत ज्यादा याने की 100 A से ज्यादा के करंट को दो धातु के टुकड़ो में से गुजारा जाता है जिन्हें वेल्डिंग करनी है resistance की वजह से बोहोत ज्यादा heat उत्पन्न हो जाती है | दोनों धातु के बिच में बोहोत ज्यादा heat उत्पन्न होने की वजह से धातु पिघल जाता है |
धातु जब पिघल जाते है तब उसके ऊपर दबाव याने pressure डाला जाता है उसके कारन दो धातु एक दुसरे के अन्दर समां जाते है और इसकी वजह से दो धातु के बिच में मजबूत वेल्ड हो जाता है |
इसमे copper electrode का इस्तेमाल किया जाता है | और करंट ज्यादा होने की वजह से voltage की मात्रा कम हो जाती है याने 4 V से लेकर 12 V तक वोल्टेज का इस्तेमाल किया जाता है | यह वोल्टेज area, composition और धातु के thickness याने धातु की मोटाई कितनी है उसपर निर्भर करता है |
निचे दिखाए चित्र में हम Resistance welding in hindi की बनावट को देख सकते है |
Resistance welding in Hindi |
अगर बोहोत अच्छा वेल्ड चाहिए तो उसके लिए दोनों धातु के contact resistance एक जैसा रहना चाहिए, और यह सतह की हालत पर निर्भर होता है | अगर पतले धातु की वेल्डिंग करनी हो तब करंट को कम रखा जाता है अगर मोटे धातु को वेल्ड करना हो तब करंट की मात्रा को सबसे ज्यादा रखना पड़ता है |
Resiatance welding में दिए जाने वाला दाब याने pressure की भी बोहोत महत्व पूर्ण भूमिका होती है | अगर दबाव ज्यादा है तब तापमान को कम और दबाव कम हो तब resistance की मात्रा को ज्यादा रखना पड़ता है |
Current की मात्रा को कम ज्यादा करने के लिए primary voltage को कम ज्यादा करकर या फिर welding transformer का इस्तेमाल किया जाता है |
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Construction of resistance welding machine (प्रतिरोध वेल्डिंग की बनावट):-
जैसे की ऊपर दिखाए चित्र में हम देख सकते है की सप्लाई के लिए ट्रांसफार्मरका इस्तेमाल किया जाता है उसमे taps लगे हुए होते है उनकी मदद से करंट/वोल्टेज को कम ज्यादा किया जा सकता है |
साथी साथ इसमे Clamping यंत्र होता है जिसकी मदद से दोनों धातु के टुकड़ो को एक जगह पर रखा जाता है | mechanical दबाव देने के लिए भी यंत्रणा लगी होती है, दबाव के लिए हाथ का इस्तेमाल किया जा सकता है और air pressure या फिर springs, hydraulic का इस्तेमाल किया जाता है |
एक electrode fixed होता है to दुसरे electrode moving होता है ताकि उसके ऊपर pressure को दिया जा सके | इसमे water cooled electrodes भी होते है | प्रतिरोध वेल्डिंग के बोहोत सारे प्रकार है तो उसकी हिसाब से इसकी बनावट में बदलाव होते है |
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Types of welding ( वेल्डिंग के प्रकार):-
1) Gas Welding (गैस वेल्डिग):-
- Oxyacetylene
- Air-acetylene
- Oxy-hydrogen
2) Resistance Welding (रेजिस्टेंस वेल्डिंग ):-
- Butt Welding
- Spot Welding
- Projection Welding
- Seam Welding
- Percussion Welding
3) Arc Welding (आर्क वेल्डिंग ):-
- Carbon arc Welding
- Metal arc Welding
- Gas metal arc welding
- Gas tungsten arc welding
- Atomic hydrogen arc Welding
- Plasma arc Welding
- Submerged arc Welding
- Flux-cored arc Welding
- Electro-slag Welding
4) Thermit Welding (थर्मिट वेल्डिंग)
5) Solid-state Welding (सॉलिड स्टेट वेल्डिंग ):-
- Friction Welding
- Ultrasonic Welding
- Diffusion Welding
- Explosive Welding
6) Newer Welding (न्यू वेल्डिंग ):-
- Electron beam welding
- Laser Welding
Types of Resistance welding in hindi (प्रतिरोध वेल्डिंग के प्रकार):-
- Butt welding
- Spot welding
- Projection welding
- Seam welding
- Percussion welding
- High-frequency resistance welding
1. Butt Welding (बट वेल्डिंग) :-
बट वेल्डिंग में दो धातु के टुकड़ो को एकदम आमने सामने रखकर या फिर एक कोने पर किया जाता है | इसके दो प्रकार है A) Upset Butt welding, B) Flash butt welding.
A) Upset Butt welding (अपसेट बट वेल्डिंग):-
यह एक resistance welding की ऐसी प्रक्रिया है जिसमे धातु के हिस्से को आमने सामने रखा जाता है, यहाँ पर पूरा surface गरम हो जाता है मतलब जहा contact हुआ है वह सतह गरम हो जाती है |इसका इस्तेमाल सिर्फ वही पर किया जाता है जहा पर दोनों हिस्से एक समान हो |
धातु के हिस्से को clamp के ऊपर स्थिर किया जाता है, दोनों हिस्सों को आमने सामने लगाया जाता है उसके बाद उसमे से बोहोत ज्यादा करंट को गुजारा जाता है, इसकी वजह से contact गरम हो जाते है और उनके बिच बे बोहोत अच्छी वेल्ड बन जाती है |
इसमे upsetting pressure का इस्तेमाल किया जाता है | यह दबाव या तो हाथो से याने manually या फिर टॉगल तंत्र से दिया जाता है | जॉइंट को pressure में ही ठंडा किया जाता है उसके बाद ही pressure को निकाला जाता है |
इसका यह फायदा है की इसमे फ़्लैश नहीं उत्पन्न होती है |
B) Flash Butt welding (फ़्लैश बट वेल्डिंग):-
इसमे दोनों हिस्सों को एक दुसरे के साथ बट याने की हलके से छुते है ज्यादा pressure नहीं होता है | उसके बाद इसमे से करंट को गुजारा जाता है इसकी वजह से जॉइंट में गर्मी उत्पन्न हो जाती है और दोनों के बिच में वेल्ड हो जाता है |
इस welding के लिए कुछ खास तैयारी की जरुरत नहीं होती है | Flash butt welding में दोनों धातु के हिस्सों को एक दुसरे से जोड़ने से पहले ही सप्लाई को चालू कर दिया जाता है |
दोनों हिस्से के बिच के resistance की वजह से तापमान बढ़ जाता है उसकी वजह से इनके बिच में arc उत्पन्न हो जाती है उसकी वजह से तापमान और बढ़ जाता है और उसकी वजह से वेल्ड बोहोत ही अछे तरीके से बन जाता है |
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2. Spot Welding (स्पॉट वेल्डिंग):-
इस वेल्डिंग में जैसे की नाम से ही पता चल रहा है की दो धातु के हिस्से की बिच में spot याने की एक ही हिस्से में वेल्ड हो जाता है | इसका मतलब की एक छोटा सा हिस्सा ही गरम हो जाता है और वही पर वेल्ड बन जाता है | इसमे भी pressure का इस्तेमाल करना पड़ता है |
Resistance welding में से spot welding का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है | क्यू की इसकी कीमत कम होती है साथी साथ इसकी वेल्ड करने की गति भी तेज होती है |
इसका ज्यादा तर इस्तेमाल sheet metal structure को जोड़ने के लिए किया जाता है | इस वेल्डिंग की मैकेनिकल strength बोहोत अच्छी होती है लेकिन यह welding एयर टाइट या वाटर टाइट नहीं होती है |
इस spot welding में धातु के टुकड़ो को mechanical pressure से electrode की मदद से दबाया जाता है | उसके बाद सप्लाई को कुछ समय के लिए चालू कर दिया जाता है | जिस हिस्से में दबाव डाला गया है वह हिस्सा गरम हो जाता है और वहा पर वेल्ड बन जाता है |
contact के पूरी तरह से ठंडा होने के बाद ही pressure को कम किया जाता है |
3. Projection Welding (प्रोजेक्शन वेल्डिंग):-
इस प्रक्रिया में भी करंट की फ्रेलो और जिस्टेंस की मदद से वेल्डिंग पॉइंट को गरम किया जाता है | इस प्रकार में हम पूर्वनिर्धारित जगह पर ही वेल्डिंग कर सकते है, ऐसा करने के लिए projection, या embossments का इस्तेमाल किया जाता है |
जो उपकरण spot welding में इस्तेमाल किया जाता है उसी उपकरण को projection welding में इस्तेमाल किया जाता है बस इसमे एक फरक ये है की इसमे इस्तेमाल होने वाले electrodes आकार में बड़े होते है और उसकी सतह समतल याने की flat होती है |
projection welding अच्छे से होने के लिए जिस धातु को वेल्ड करना है उसकी सतह की तैयारी करना बोहोत जरुरी होता है |
Spot welding के मुकाबले इसके कुछ फायदे है जैसे की यह welding बोहोत आसान है, इस welding में एक से अधिक जगह पर welding कर सकते है | electrodes ज्यादा समय तक चलते है,welding की फिनिशिंग बोहोत अच्छी होती है |
4. Seam Welding (सीम वेल्डिंग):-
Seam welding एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे सीरीज में बोहोत सारे spot welding की जाती है | अगर किसी धातु को लगातार continous welding करनी हो तो इस वेल्डिंग का इस्तेमाल किया जाता है | इस प्रक्रिया में दो wheels याने पहियों का इस्तेमाल किया जाता है |
इन्ही पहियों में से करंट को गुजारा जाता है | इसमे लगातार pressure देने की जरुरत पड़ती है जिसे ही pressure दिया जाता है वैसे की वेल्डिंग की प्रकिया सुरु हो जाती है |
Resistance welding in Hindi |
Seam welding में एक बात बोहोत जरुरी है की जिन धातु का वेल्ड करना है उन धातुओ की सतह अच्छे से साफ होनी चाहिए उसपर धुल या गन्दगी नहीं होनी चाहिए | अगर धातु की मोटाई 0.25 mm से लेकर 3 mm तक हो तब इस वेल्डिंग का इस्तेमाल करना बोहोत अच्छा होता है |
5. Percussion Welding (परकुसन वेल्डिंग):-
इस प्रक्रिया का विकास हाली में हुआ है | इस प्रक्रिया में पुरे हिस्से पर एक ही बार में संघीकरण होता है इसके लिए arc का इस्तेमाल किया जाता है, इस arc को उत्पन्न करने के लिए electrical discharge का इस्तेमाल किया जाता है |
यह एक सेल्फ टाइमिंग वेल्डिंग प्रक्रिया है | इस प्रक्रिया में एक धातु के हिस्से को एक जगह पर स्थिर रखा जाता है तो दुसे हिस्से को थोड़ी दुरी पर रखा जाता है, जब movable हिस्सा स्थिर हिस्से के नजदीक याने की 1.5 mm तक आ जाता है वैसे की दोनों हिस्सों के बिच में इलेक्ट्रिकल discharge हो जाता है |
इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज की वजह से arc उत्पन्न हो जाती है और उस arc की वजह से गर्मी उत्पन्न हो जाती है | दोनों धातु के contact के समय बोहोत ज्यादा प्रेशर का इस्तेमाल किया जाता है | यह प्रक्रिया flash welding और upset welding जैसी ही होती है |
6. High-frequency resistance Welding (हाई फ्रीक्वेंसी प्रतिदोध वेल्डिंग):–
इस welding में बोहोत ज्यादा फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है, इसमे लगभग 400 से लेकर 450 kHz तक फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल किया जाता है | इसके लिए oscillator का इस्तेमाल किया जाता है | इसमे ज्यादा फ्रीक्वेंसी करंट को ऑक्साइड फिल्म बैरियर से गुजरती है | इसकी वजह से पतला heat-affected जोन उत्पन्न होता है |
Application of resistance welding (प्रतिरोध वेल्डिंग के इस्तेमाल) :-
- इस प्रक्रिया का इस्तेमाल boiler, या tank में वेल्डिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है ताकि किसी तरह का रिसाव न हो सके |
- Flash welding का इस्तेमाल Pipes और tube को वेल्डिंग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
- साथी साथ बोक्स, कैन, रोड्स की वेल्डिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
- प्रतिरोध वेल्डिंग का बोहोत ज्यादा इस्तेमाल sheet metal की वेल्डिंग के लिए किया जाता है |
- Aircraft और automobile industries में
Advantages of resistance welding (प्रतिरोध वेल्डिंग के फायदे) :-
- इसके वेल्डिंग की प्रक्रिया बोहोत आसान होती है |
- इसको आसानी से automated कर सकते है |
- Resistance welding में वेल्डिंगबोहोत तेजीसे होती है |
- दोनों धातु को याने एक समान या दो अलग अलग धातु को जोड़ा जा सकता है |
- इसमे किसी तरह का flux या filling material का इस्तेमाल नहीं होता है |
- इसमे कम समय लगता है |
- इस वेल्डिंग को करने से कम खर्चा आता है |
- कम वोल्टेज होने की वजह से ऑपरेटर की saftey बढ़ जाती है|
Disadvantages of resistance welding (प्रतिरोध वेल्डिंग के नुकसान) :-
- इसमे बोहोत ज्यादा electric power का इस्तेमाल होता है |
- इसका initial cost याने प्रारंभिक मूल्य ज्यादा होता है |
- इसके रख रखाव के लिए कुशल कारीगर की जरुरत पड़ती है |
- कुछ धातु के वेल्डिंग के लिए कुछ खास तैयारी की जरुरत पड़ती है |
- उपकरण का वजन ज्यादा होता है इसके कारन कही पर ले जाना मुश्किल होता है |
- कुछ वेल्डिंग के तरीके सिर्फ lap joint तक ही सिमित है |
Question and answer related to resistance welding ( प्रतिरोध वेल्डिंग से जुड़े प्रश्न उत्तर):-
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प्रतिरोध वेल्डिंग प्रक्रिया क्या है ?( What is resistance welding process?)
रेजिस्टेंस वेल्डिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे दो मेटल के बिच में से बोहोत ज्यादा इलेक्ट्रिकल करंट को भेजा जाता है, दोनों मेटल जहा वेल्ड होने वाला है वहा पर एक दुसरे से जुड़े हो, जब बोहत ज्यादा करंट मेटल में से गुजरता है तब रेजिस्टेंस की वजह से धातु पिघल जाता है और दो धातु एक दुसरे में वेल्ड हो जाते है |
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प्रतिरोध वेल्डिंग के प्रकार कितने है ? ( What are the types of resistance welding ?)
Butt welding
Spot welding
Projection welding
Seam welding
Percussion welding
High-frequency resistance welding -
प्रतिरोध वेल्डिंग के उपयोग कोनसे है ?( application of resistance welding ?)
Boiler और tank welding, Aircraft और automobile industries, sheet metal को जोड़ने के लिए, pipe, tubes, box, can, rod को जोड़ने के लिए |
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प्रतिरोध वेल्डिंग में किस धातु के एलेक्टोड़े का इस्तेमाल किया जाता है ?( Which type of metal used for electrodes ?)
Tungsten/copper, molybdenum, tungsten.
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स्पॉट वेल्डिंग में इलेक्ट्रोड किस धातु से बने होते है? ( Which metal used to make electrode for spot welding?)
Copper
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वेल्डिंग की गुणवत्ता जांचने के लिए किस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है ?
Peel test और restrained tensile test
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प्रोजेक्शन वेल्डिंग का इस्तेमाल कहा पर किया जाता है ?
Studes, nuts, crossed wire और bars में वेल्डिंग के लिए
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व्हाट इस थे सोर्स ऑफ़ एनर्जी रेजिस्टेंस वेल्डिंग?
सप्लाई वोल्टेज ऑटो ट्रांसफार्मर का या tap changing ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल
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तो दोस्तों आज हमने Resistance welding in Hindi इस आर्टिकल में प्रतिरोध वेल्डिंग क्या है ? यह जानने की कोशिश की साथी साथ प्रकार कितने है औरउपयोग के बारेमे भी जाना | अगर यह आर्टिकल या लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ facebook पर जरूर शेयर करना और इस लेख को पढ़कर आपको कैसा लगा वो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखना कुछ सुझाव हो तो भी कमेंट में जरूर लिखना
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