DC motor में गति नियंत्रण करने का मुख्य उद्देश्य यही होता है की जीतनी गति की जरुरत है उतनी ही गति dc motor से मिले ताकि उसका इस्तेमाल सही से किया जा सके |
गति को नियंत्रित करने के लिए या तो manualy या फिर automatic control device का इस्तेमाल भी किया जा सकता है | mechanicaly गति को नियंत्रित करना हो तो उसके लिए stepped pulleys, और gear change setclutch mechanism, और दुसरे भी तरीके है जससे speed control की जा सकती है |
Speed control की जरुरत इसी लिए होती है क्यू की कई जगह पर constant speed याने एक समान गति की जरुरत होती है तो दूसरी जगह variable speed याने गति में लगातार बदलाव करने की जरुरत होती है, इसी लिए speed control की जरुरत पड़ती है |
Speed control of dc motor in hindi ( डीसी मोटर स्पीड कण्ट्रोल ) :-
DC motor की एक बोहोत ही महत्वपूर्ण बात है की इसका speed control करना बोहोत आसान है दूसरो के मुकाबले इसी एक खास वजह से इसका इस्तेमाल adjustable speed drives में अपरिहार्य हो जाता है | डीसी मोटर की गति को नियंत्रित करने के लिए निचे दिए गए तरीको का इस्तेमाल किया जाता है |
1) Field control method (फील्ड कण्ट्रोल मेथड ) :-
filed series control के तिन प्रकार है जिनका इस्तेमाल करके dc series motor की गति को नियंत्रित किया जाता है |
i) Field diverter method (फील्ड डायवर्टर मेथड ) :-
मोटर के field flux को कम करने के लिए series field में के current को कम करना पड़ता है इसकी वजह से excitation mmf कम हो जाता है field कमजोर हो जाती है | इस प्रणाली का चित्र हम निचे देख सकते है |
Speed control of dc motor in hindi |
इस method का इस्तेमाल करके हम normal speed से अधिक गति को प्राप्त कर सकते है क्यू की इसमे field कम हो जाता है | जैसे ही diverter resistance कम होगा वैसे ही field current कम हो जाएगा of flux भी कम हो जायेगा इसकी वजह से गति बढ़ जाएगी |
यह मेथड आसान है और साथी साथ कम खर्चीली भी है और अच्छा speed control प्रदान कराती है | इस मेथड को उस जगह इस्तेमाल किया जाता है जहा पर जैसे ही लोड कम हो जाता है उसी वक्त गति बढ़ाना जरुरी होता है |
ⅱ) Tapped field control (टप्प फील्ड मेथड ) :-
इस प्रक्रिया में भी गति को बढ़ाने के लिए flux को कम किया जाता है इसके लिए field winding के turns को कम कर दिया जाता है | इस प्रक्रिया में dc series motor के field winding में टैपिंग की जाती है यह टैपिंग किस तरह की जताई है ये हम निचे दिखाए चित्र में देख सकते है |
Speed control of dc motor in hindi |
इसमे बोहोत सारे field turns को अपने आवश्यकता के नुसार short circuited किया जाता है | जब सभी field turns circuit में होगे उस समय मोटर सबसे कम गति पर घूमेगी जैसे ही series field turns को कम कर दिया जायेगा तभी मोटर की गति बढ़नी सुरु हो जाएगी | इस मेथड का इस्तेमाल ज्यादा तर traction याने railways में किया जाता है |
Also read – Fireextingusher in hindi
ⅲ) Paralleling field coil method ( समानांतर फील्ड कोईल मेथड) :-
इसका इस्तेमाल fan motor में किया जाता है |इसमे गति को नियंत्रित करने के लिए filed coil के grouping का इस्तेमाल किया जाता है | dc shunt motor में flux को बदले के लिए variable resistance को field winding के series में लगाया जाता है | इसका चित्र हम निचे देख सकते है |
Speed control of dc motor in hindi |
यहाँ पर flux को कम किया जाता है उसकी वजह से normal गति से ज्यादा की गति को प्राप्त किया जा सकता है |जब flux एकदम कम होगे उस वक्त मोटर की गति सबसे ज्यादा होगी और जब flux ज्यादा होगे उस वक्त गति कम होगी |
mechanical बनावट के कारन बोहोत ज्यादा गति भी नहीं बढ़ा सकते, speed variation के ratio को 4 से 5 to 1 तक ही बढ़ा सकते है |
इस मेथड में गति को धीरे धीरे नहीं बढाया जा सकता है इसी लिए इसका इस्तेमाल वही पर किया जाता है जहा पर लोड एकसमान होता है |
2) Armature resistance control methods (आर्मेचर रेजिस्टेंस कण्ट्रोल मेथड ) :-
इस प्रक्रिया में गति को गति को कम करने के लिए resistance का इस्तेमाल किया जाता है resistance को armature circuit में लगाया जाता है | इसका इस्तेमाल series, shunt और compound मोटर में किया जाता है|
Dc shunt मोटर में armature resistance की वजह से armature circuit में voltage drop याने कम हो जाता है उसकी वजह से गति कम हो जाती है | इसमे field current एक जैसा ही रहता है | इस प्रक्रिया का चित्र हम निचे देख सकते है |
Armature Speed control of dc motor in hindi |
इसमे speed को wide range याने ज्यादा range में कर सकते है normal गति से कम में | उसी समय मोटर में बोहोत अच्छे range में torque को control कर सकते है |
इसका सबसे बड़ा फायदा ये है की normal गति से कम की गति पर मोटर को चला सकते है इसका मतलब कम rpm पर भी मोटर को चला सकते है | इस फायदे की वजह से जहा पर कम गति की जरुरत होती है वहा पर इसका इस्तेमाल किया जाता है|
इस प्रकिया का उपयोग printing machine में, cranes, hoist में होता है जहा पर मोटर को जल्दी चालू होकर रुकना पड़ता है | इसका इस्तेमाल वहा पर भी होता है जहा पर लोड एकदम से कम हो जाता है जैसे की fan और blower में |
यह भी पढ़े – lightning in hindi
3) Shunted armature control method (शन्तेड आर्मेचर कण्ट्रोल मेथड ) :-
अगर ऊपर बताये तेरिके के याने series resistance की बनावट की जाये तो उसकी वजह से एक नुकसान भी होता है जो की जैसे ही लोड कम ज्यादा होगा वैसे ही गति भी कम ज्यादा हो जाएगी | इस कमी को दूर करने के लिए shunting armature का इस्तेमाल किया जाता है | इसका चित्र हम निचे देख सकते है |
Shunted armature Speed control of dc motor in hindi |
इसमे R1 और R2 voltage divider की तरह काम करते है, इसकी वजह से armature में कम वोल्टेज जाता है | दो resistance इस्तेमाल करने से अछे आउटपुट के लिए आसानी हो जाती है |
इस प्रकिया का एक नुकसान ये है की इसकी efficiency कम होती है | इसका इस्तेमाल कम power rating वाले drives में किया जाता है | इसको बनाने का मूल्य भी ज्यादा है और इसका इस्तेमाल लगातार नहीं किया जा सकता है क्यू की इसमे बोहोत power loss होते है |
4) Armature voltage control (आर्मेचर वोल्टेज कण्ट्रोल ):-
Speed control of dc motor के लिए इस प्रकिया में variable वोल्टेज source जो की filed current को supply से अलग होना चाहिए | इस प्रक्रिया में हमें बोहोत अच्छी तरह से गति को नियंत्रित कर सकते है | लेकिन इस प्रक्रिया का एक नुकसान है की इसकी initial cost याने प्रथम लागत ज्यादा होती है |
इसमे बोहोत अच्छी range तक गति को नियंत्रित कर सकते है | इस मोटर के voltage को अगर कम कर दिया जाये तो उसकी वजह से मोटर का आउटपुट भी कम हो जायेगा और उसकी वजह से गति भी कम हो जाएगी |
इस प्रकिया की वजह से बोहोत अच्छी स्टार्टिंग characteristic मिलती है उसकी वजह से इसका इस्तेमाल नए ज़माने के बोहोत गति वाले elevetar में इस्तेमाल किया जाता है |
5) Ward-Leonard method of speed control (वार्ड-लियोनार्ड मेथड ):-
जो बेसिक adjustable voltage armature voltage control मेथड है उसी में adjustable voltage generator का इस्तेमाल किया जाता है उसी system को ward-leonard system कहा जाता है | इसमे एक साधारण काम करने वाली मोटर होती है और उसमे armature में variable voltage को दिया जाता है ताकि जीतनी गति चाहिए उतनी गति मिल सके |
Variable voltage को देने के लिए motor-generator या फिर converter का इस्तेमाल किया जाता है | इसके बोहोत से फायदे है जैसे की बोहोत धीरे से और बोहोत कम speed से गति को बढ़ा सकते है |
एसक एक फायदा ये भी है की दोनों दिशा में इसकी गति को नियंत्रित किया जा सकता है | इसका speed regulation बोहोत अच्छा है |
इस Speed control of dc motorp in hindi के कुछ नुकसान भी है जैसे की इसमे दो अलगसे ज्यादा machine की जरुरत होती है उसकी वजह से इसका मूल्य बढ़ जाता है | और इसकी efficiency कम होती है |
इसका इस्तेमाल steel rolling mills, paper machines, cranes, mine hoist में किया जाता है |
Universal motor क्या है ?
6) Booster speed control (बूस्टर स्पीड कण्ट्रोल ) :-
इसमे main मोटर के armature के series में बूस्टर को लगाया जाता है ताकि voltage को कम ज्यादा करा जा सके | बूस्टर एक seperatly excited dc generator होता है | इस generator की मदद से हम voltage को कम या ज्यादा कर सकते है |
इस प्रकिया का एक नुकसान ये है की इसमे 2 ज्यादा मशीन की जरुरत पड़ती है और उनकी कीमत ज्यादा होती है | ज्यादा tar इसका इस्तेमाल वहा पर ज्यादा किया जाता है जहा पर बोहोत कम गति को बदलने की जरुरत होती है |
7) Metadyane control method (मेटाडायने कण्ट्रोल मेथड ) :-
यह प्रक्रिया constant current system speed control पर आधारित है | इसमे करंट accelerating समय में एक समान रहता है इसकी वजह से एक जैसा tractive effort developed हो जाते है, इसकी वजह से बोहोत ही अच्छा control मिलता है |
Speed control of dc motor in hindi की इस प्रकिया में किसी तरह से energy बरबाद nahi होती है | इसका इस्तेमाल underground railways में किया जाता है |
यह भी पढ़े :-