DC machines का इस्तेमाल हम generator, DC motor और break की तरह भि कर सकते है | जनरेटर में machine को prime mover की तरह इस्तेमाल किया जाता है और उससे फिर मैकेनिकल से इलेक्ट्रिकल पॉवर में बदला जाता है |
और मोटर मोड में machine को mechaical पॉवर से चलाया जाता है इसमे electrical power को mechanical पॉवर में बदला जाता है | इस आर्टिकल में हम dc motor का कार्यसिधान्त, रचना, प्रकार,उपयोग इनके बारेमे जानेंगे |
Table of Contents
डीसी मोटर क्या है ? (DC motor in hindi) :-
इसमे मोटर को mechanical load को चलाना पड़ता है, इसके लिए मोटर को electrical supply को दिया जाता है | उसके बाद यह मोटर electrical power को mechanical power में बदल देती है | dc motor का इस्तेमाल पहले इंडस्ट्रियल application के बोहोत किया जाता था लेकिन अब देखे तो बोहोत कम इस्तेमाल होता है |
लेकिन ऐसी बोहोत सारी जगह से जहा पर dc motor का इस्तेमाल करना बोहोत जरुरी है | इसका मूल्य और कुछ फायदों की वजह से और साथी साथ इसको voltage /current या फिर speed/torque के हिसाब से हम बोहोत range में design कर सकते है |
इनका इस्तेमाल वहा ज्यादा किया जाता है जहा पर मतलब जो वस्तू जमिन से बाहर हो वहा पर इसका इस्तेमाल करना अनिवार्य हो जाता है जैसे की aerocrafts, ships जहाज , या फिर रास्ते पर चलने वाली गाड़िया हो इस जगहों पर dc machines का इस्तेमाल किया जाता है |
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डीसी मोटर कार्य सिधान्त ( dc motor working principle in hindi ):-
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DC motor in Hindi |
फ्लेमिंग लेफ्ट हैण्ड रूल (Fleming left hand rule in hindi ) :-
फ्लेमिंग लेफ्ट हैण्ड रूल यह दर्शाता है की, अगर हम first finger याने पहली उंगली , second finger याने बिच वाली उंगली और thumb याने अंगूठे को फैलाये तब अंगूठा करंट को लेजाने लावे conductor के force की दिशा को दर्शाता है, first finger magnetic field की दिशा को दर्शाता है और second finger current कि दिशा को दर्शाता है |
डीसी मोटर की रचना ( Construction of DC machine in hindi ):-
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DC motor in Hindi |
1) Stator (स्टेटर) yoke (योक) :-
जैसे की स्टेटर शब्द से ही पता चलता हिया की यार मोटर का statinory पार्ट हिया, इसमे फ्रेम, yoke होता है और poles होते है जो field winding को सहारा देते है | frame और yoke मेग्नेटिक circuit के साथ साथ पुरे ढांचे को एक साथ रखने का काम भी करते है |
yoke को बनाने के लिए cast iron धातु का इस्तेमाल किया जाता है, आज के ज़माने में cast steel का इस्तेमाल किया जाता है | इसमे poles, interpoles, main field winding और interpole winding होती है | फील्ड वाइंडिंग के लिए copper का इस्तेमाल छोटे और माध्यम आकार के मोटर में किया जाता है |
2) Rotor (रोटर) Armature (आर्मेचर ) :-
रोटर याने की मोटर का घूमने वाला हिस्सा होता हिया | dc motor का armature या rotor पतले laminatios से बना होता है, जो की silicon steel से बनी होती है | छोटे मोटर में armature की laminations को सीधे shaft पर ही लगाया जाता है | रोटर पर armature winding को लगाया जाता है |
3) Commutator (कम्यूटेटर) :-
कम्यूटेटर भी dc मोटर का ही हिस्सा है, इसका मुख्य काम होता है की armature conductor में निर्माण होने वाले alternating current को सुधारना | यह cylindrical shape याने बेलनाकार आकार में होता है, और ये armature के छोर पर लगा हुआ होता है |
मोटर के अछे तरह से कार्य करते रहने के लिए यह बोहोत जरुरी होता है की commutator की mechanical stability अछि रहे ताकि वह कोनसे भी स्थिति में अछि गति से घूम सके |
4) Brushes (ब्रश) :-
पुरे ब्रश के ढांचे को लगाने के लिए brush gear, brush holder, brush rocker, और brush इन सबका इस्तेमाल होता है | brush gear का इस्तेमाल commutation में किया जाता है इसमे brush होलेर सेट का इस्तेमाल किया जाता है |
Brushes में brush contact loss और brush friction loss होते है |
Brush holder एक metal का बॉक्स होता है जो की frame से insulated होता है |यह ब्रश होल्डर brush rocker के ऊपर fixed किये जाते है |
DC motor में इस्तेमाल होने वाले brush के नाम निचे दिए गए है |( brushes used for dc motor )
a) Natural graphite
b) Electro graphite
c) Metal graphite
d) Hard graphite
5) Frame (ढांचा ) :-
Frame में पूरी field सिस्टम होती है | armature के आखरी भाग पर यह bearing को लगाने की जगह प्रदान करता है, और साथी साथ पुरे ढाचे सो एक जगह बयाने रखने के लिए feet भी प्रदान करता है, साथी साथ मोटर का अगर उठाना हो to उसके लिए lifting lug और cable को अन्दर जाने के लिए भी जगह देता है |
आर्मेचर वाइंडिंग का इंसुलेशन (Insulation of armature winding ):-
पहले जब मोटर को बनाया जाता था तब उसको इस तरह बनाया जाता था की वो class A के तापमान को सहन कर सके | लेकिन आज के ज़माने में मोटर को इस तरह design किया जाता है की वो class E,B और F को भी झेल सके |
इसमे इस्तेमाल होने वाले conductor polyvinyl acetal (p.v.a) के coated होते है | glass fibre, पोल्य्स्टर और sysnthetic वार्निश का इस्तेमाल किया जाता है | साथी साथ woven glass, और mica का भी इस्तेमाल किया जाता है |
डीसी मोटर के प्रकार (Types of dc motor in hindi ) :-
Dc motor को दो मुक्य प्रकार होते है :-
1) सेल्फ एक्सइटेड मोटर (Self excited motor)
2) सेपरेटली एक्सइटेड मोटर (Seprately excited motor )
सेल्फ एक्सइटेड मोटर (Self excited motor) :-
इस मोटर को को उत्तेजितयाने excitation के लिए किसी तरह का बाहरी source की जरुरत nahi पड़ती है | इस मोटर के तिन प्रकार है |
a) डीसी सीरीज मोटर (dc series motor in hindi)
b) डीसी शंट मोटर (dc shunt motor in hindi)
c) डीसी कंपाउंड मोटर (dc compound motor in hindi)
a) डीसी सीरीज मोटर (Dc series motor in hindi) :-
इसमे armature और field windings सीरीज में जुड़े होते है, इसीलिए इसे dc series मोटर कहा जाता है | इसके field वाइंडिंग में उतना ही current बहता है जितना armature से जाता है | इसके field वाइंडिंग में इस्तेमाल होने वाले तार की मोटाई ज्यादा होती है और इसके घुमाव की संख्या कम होती है |इनका इस्तेमाल lift, train, conveyar belt में किया जाता है |
निचे दिखाए चित्र में हम dc series motor को देख सकते है |
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DC motor in Hindi |
b) डीसी शंट मोटर (Dc shunt motor in hindi) :-
इसमे field वाइंडिंग और armature वाइंडिंग समान्तर में लगी होती है | इसके field के वाइंडिंग का resistance अधिक होता है और इसमे बोहोत कम current होता है | इस मोटर की गति एक समान होती है इसलिए जहा पर एकसमान गति की आवश्यकता होती है वहा पर इस मोटर का इस्तेमाल किया जाता है |इनका इस्तेमाल water pump, blower में किया जाता है
निचे दिखाए चित्र में हम dc shunt motor को देख सकते है |
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DC motor in Hindi |
c) डीसी कंपाउंड मोटर (Dc compound motor in hindi):-
इस प्रकार की मोटर में दोनों प्रकार की वाइंडिंग याने shunt field winding और series field winding होती है |इसमे दो प्रकार के connection होते है एक होता है short shunt connnection और दूसरा होता है long shunt connection|
Speed control of dc motor in hindi (डीसी मोटर की गति इयंत्रण तरीके ):-
- Armature resistance control (आर्मेचर रेजिस्टेंस कण्ट्रोल)
- Variation of field flux control (फील्ड फ्लक्स को कम ज्यादा करके )
- Armature voltage control (आर्मेचर का वोल्टेज कम ज्यादा करके )
Losses in DC motor in hindi (डीसी मोटर में होने वाली हानि ) :-
डीसी मोटर के उपयोग (Application of dc motor):-
- Lathe मशीन, Drilling मशीन और milling मशीन में
- Train में Cranes में
- Laboratary में इनका इस्तेमाल किया जाता है |
- Lift में और air blower में
- Air compresser साथी साथ vaccum cleaner
- Sewing machine याने शिलाई मशीन में
डीसी मोटर के फायदे (Advantages of DC motor):-
- यह मोटर बोहोत जल्दी चालू हो सकता है, रुक सकता है या फिर दूसरी दिशा में घूम सकता है |
- Ac मोटर के मुकाबले कम बिजली लगाती है |
- किसी भी गति पर इसका torque एक जैसा बना रहता है |
- इसकी गति को अछे से नियंत्रित किया जा सकता है |
- इसमे harmonics नहीं होती है |
- इसका torque ज्यादा होता है |
डीसी मोटर के नुकसान (Disadvantages of DC motor):-
- 300 rpm से कम की गति पर cogging की समस्या आती है |
- प्रारंभिक लागत बोहोत होती है |
- Commutator और brushes की वजह से maintenace का मूल्य जादा हो जाता है |
- जहा आग लगने का खतरा है वहा पर इसका इस्तेमाल nahi किया जा सकता है |