Insulator in hindi | Insulator क्या है ? | इंसुलेटर के प्रकार

Insulator in Hindi इस आर्टिकल में हम जानने वाले है की insulator क्या होता है ? insulator के प्रकार कोनसे है (Types of insulator).साथी साथ हम देखने वाले है की इंसुलेटर आखिर ख़राब क्यू हो जते है (failure of insulator) और सभी इन्सुलेटर्स की images ताकि समझने में आसानी हो सके |

Insulator in hindi | insulator क्या है ? | insulator के प्रकार
Insulator in hindi | insulator क्या है ?

Insulator क्या है?(Insulator in hindi):-

Meaning of Insulator in Hindi:- 1) बिजली की धारा रोकनेवाला, 2) विसंवाहक, 3) अवरोधी, 4) ऊष्मारोधी 

Overhead lines में insulators का मुख्य काम होता है की, overthead lines में पॉवर कंडक्टर्स होते है उनको ground याने जमीन के साथ insulate करना | Insulators क्रॉस आर्म पर जुड़े होते है (क्रॉस आर्म एक supporting structure है |) और पावर कंडक्टर्स insulator के clamp में से जाते है | 

ज्यादा तर यह insulators या तो glazed porcelain याने चमकता हुआ चीनी मिट्टी या फिर toughened glass याने की मजबूत कांच के बने होते है | porcelain बनाने के लिए 20% silica, 30% feldspar और 50% clay से बना होता है | 

जो porcelain insulator को बनाने में इस्तेमाल इस्तेमाल होने वाला है air free और non porous होना बोहोत जरुरी है | porcelain की dielectric strenght 15kV से 17kV  चाहिए उसके हर one tenth inch thickness हिसाब से होनी चाहिए | . 

Porcelain  बोहोत मजबूत होता है, उसपे तापमान का असर जल्दी नहीं होता है और उसमे leackage का problem भी बोहोत कम होता है इसलिए overhead transmission line के लिए porcelain का इस्तेमाल करना बोहोत उपयुक्त है | `

Line इन्सुलेटर्स  पूरीतरह से खुले वातावरण में होने के कारन उनपर बाहरी वातावरण का परिणाम होता रहता है और उनपर मिट्टी  चिपक जाती है उसके कारन leakage करंट की मात्रा  बढ़ती है | leakage current की वजह से brekdown होने बचने के लिए insulators के बीचमे थोड़ी जगह रखना बोहोत जरुरी है | 

Insulator के गुण (Properties of  Insulators in Hindi ):-

1) Flash over के बाद puncture होने का ratio याने अनुपात ज्यादा होना चाहिए |
2) इनका electrical resistance ज्यादा होना चाहिए ताकि किसी तरह का leakage current न हो |
3) इनकी mechanical strengh भी ज्यादा होनी चाहिए  ताकि वो conductor वजन को और हवा के दबाव को सहन कर सके |
4) इनमे कोई impurities याने कोई दोष न हो कोई cracks याने दरारें न हो और ये non porous हो ताकि dieletric strength बानी रहे |
Electrical insulating materials (लेक्ट्रिकल में कोनसे इन्सुल्टिंग मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है ?)
उत्तर:-paper, mica, Teflon,  plastic, rubber, polyvinyl chloride (PVC), ceramic, glass, porcelain, etc 
 

इंसुलेटर के प्रकार  (Type of Insulator) :-

1) Pin type insulator
 
2) Suspension type insulator
 
3) Strain type insulator
 
4) Shackle type insulator
 
5) Silicon rubber type insulator 
 
6) Bushings 

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1) pin type insulator (पिन टाइप इंसुलेटर ):-

इस टाइप इंसुलेटर का इस्तेमाल ज्यादातर 25 kV  तक के ऑपरेटिंग वोल्टेज के लिए किया जाता है | pin type insulator में एक या फिर एक से ज्यादा shells होते है इनको suport structure पर लगाया जाता है |

ज्यादा shells इस्तेमाल इस लिए होता है ताकी लकगे leakage path के लिए जीतनी चाहिए उतनी जगह मिल जाये ताकि पावर कंडक्टर और इंसुलेटर के पिन में का flash over voltage बढ़ जाये |

Insulator in hindi | insulator क्या है ? | insulator के प्रकार
Insulator in hindi | insulator क्या है ?

ऊपर दिखाई चित्र में हम पिन इंसुलेटर को देख सकते है |

इंसुलेटर  की तरफ एक खाचा (groove) बनाया जाता है ताकि उसमे कंडक्टर अच्छे से बैठ जाये, कंडक्टर उस groove में से जाता है |

2) Suspension type insulator (सस्पेंशन टाइप इंसुलेटर) :-

pin type insulator को 33kV के ऊपर इस्तेमाल करना करना संभव नहीं है क्यू  की 33kV के ऊपर यह खर्चीले होते है और इनको बदलना का खर्चा भी ज्यादा होता है |

इन्ही करने की वजह से ज्यादा वोल्टेज के लिए Suspension type insulator का इस्तेमाल किया जाता है | इनमे एक से ज्यादा porcelain units लगी होती है  series में metal लिंक की मदत से जुड़े होते है और एक string बनाते है |

इस string का ऊपर वाला हिस्सा cross arm पे लगा हुआ होता है | और जो कंडक्टर होता है वह string के निचले भाग पर होता है |

इसकी हर एक disc 11kV के हिसाब से बनायीं जाती है | और कितने disc लगेंगे हव कंडक्टर के वोल्टेज पर निर्भर होता है |

Suspension type insulator फायदे:-

1) 33kV के ऊपर pin type insulator मुकाबले suspension type insulator का इस्तेमाल करना किफ़ायती है |

2) इसकी हर एक डिस्क 11kV के हिसाब से बानी होती है इसलिए जितना working voltage होगा उस हिसाब से disc को series में लगाया जा सकता है |

3) अगर कुछ insulator  failure होता है तो सिर्फ उसी disc को बदलना पड़ता है नाकि पुरे इंसुलेटर को |

4) अगर transmission line में demand बढाती है उस वक्त बोहोत आसानी से इस इंसुलेटर में चंगेस किये जा सकते है |

3) Strain type insulator (स्ट्रेन टाइप इंसुलेटर) :-

Strain type insulators का इस्तेमाल तब किया जब लाइन का आखरी छोर आजाता है या फिर कोई मोड़ याने corner और कभी तीखा मोड़ आता है तब इनका इस्तेमाल होता है क्यू की ये ज्यादा दबाव सह सकती है |

निचे दिखाए चित्र में हम strain type insulator की बनावट किस तरह की है वह देख सकते है |

Insulator in hindi | insulator क्या है ? | insulator के प्रकार
Insulator in hindi | insulator क्या है ?

ज्यादा तर काम वोल्टेज याने 11kV तक ही इनका इस्तेमाल किया जाता है | लेकिन जब वोल्टेज बढ़  जाता है तब suspension insulator की स्ट्रिंग का इस्तेमाल करना अनिवार्य हो जाता है |

अभी तक हमने Insulator in Hindi में तीन तरह के इंसुलेटर को समझा है बाकि के इन्सुलेटर्स की जानकारी हम आगे देखेंगे |

4) Shackle type insulator (श्याकल टाइप इंसुलेटर) :-

पहले shackle type insulator है इस्तेमाल strain insulator की तरह किया जाता था | लेकिन वोल्टेज की बढ़ने की वजह से उनका इस्तेमाल अब ज्यादा तर कम वोल्टेज के लिए ही  किया जाता है |

निचे दिखाई गयी चित्र में हम shackle type insulator को पोल पर किस तरह लगाया जाता है वो देख सकते है |

Insulator in hindi | insulator क्या है ? | insulator के प्रकार
Insulator in hindi | insulator क्या है ?

इस तरह से insulator का इस्तेमाल सीधे खम्बे पर या फिर आड़े खम्बे पर भी किया जा सकता है | shackle type insulator इंसुलेटर को बोल्ट की मदत से सीधे खम्बे पर ही लगाया सकता है या फिर directly cross arm पर भी लगाया जा सकता है |

U आकार के क्लैंप को या फिर D आकार  क्लैंप का इस्तेमाल shackle insulator को अपनी जगह लिए किया जाता है |

5) Silicon rubber type insulator (सिलिकॉन रबर टाइप इंसुलेटर) :-

इसमें दो इंसुलेटिंग पार्ट्स होते है एक fiber glass core और दूसरा housing equipment और उसके अंत में मेटल की फिटिंग होती है|  porcelain और glass insulator के मुकाबले इसके बोहोत सरे फायदे है|

आज अगर हम देखे तो silicon rubber के साथ EP-rubber इस्तेमाल किया  जाता है इनका इस्तेमाल medium और high voltage जो बहार इंसुलेटर लगते है उनमे किया जाता है |

Insulator in hindi | insulator क्या है ? | insulator के प्रकार
Insulator in hindi | insulator क्या है ?

ऊपर  दिखाए चित्र में हम Silicon rubber type insulator की बनावट को सकते है |

इस इंसुलेटर में आगे दिए गए पुर्जे लगते है :-

Core , Housing, Weathersheds, End fitting, Coupling zone, Interface.etc

 

6) Bushings (बुशिंग):-

Bushings  का इस्तेमाल ज्यादातर transformer में किया जाता है ताकि windings की HT terminals जोड़ा जा सके | इनका काम होता है की HT terminals और transformer tank जो की जमीन के साथ जुड़ा होता है उन्हें अलग याने insulate कर सके |

निचे दिखाई चित्र में हम  सकते है की bushing कहा पर लगायी जाती है |

इनको इस तरह से बनाया जाता है की हव ज्यादा इलेक्ट्रिकल एनर्जी को भी सह सके क्यू की इन्ही bushing के अंदर से जो charged conductors  जाते है | इस लिए इनकी dieletctric strength ज्यादा होना जरुरी है |

अभी तक हमने Insulator in Hindi इस लेख में कुछ प्रकारो के बारेमे जाना अभी हम देखने वाले है की इंसुलेटर ख़राब क्यू होते है, insulators बाहर outdoor में होने के कारणों से बोहोत ज्यादा ख़राब हो जाते है लेकिन कुछ और भी कारन है जिनकी वजह से failure of insulator हो जाता है |

इंसुलेटर ख़राब क्यू होते है? ( Failure of insulator in Hindi ) :-

1) Porosity (सरंध्रता)
 
2) Internal impurities (आंतरिक अशुद्धियाँ)
 
3) Poor mechanical strength (खराब यांत्रिक शक्ति)
 
4) Aging effect (समय का प्रभाव)
 
5) High voltage breakdown (हाई वोल्टेज ब्रेकडाउन)
 
6) Surface flashover due to dust and dirt (धूल और गंदगी के कारण सरफेस फ्लैशओवर)
 
 

1) Porosity (सरंध्रता) :-

porcelain सामग्री जो की transmission line में इस्तेमाल  जाते है हाव porous (सरंध्रता) होते है  याने की वह बाहरी moisture याने नमी को अपने अंदर ले लेते है अगर उनकी सताह अच्छे से समतल या चमकते हुए न हो |

अगर इन्सुलेटर्स ने नमी को अपने अंदर ले लिया तो फिर resistance में कमी आएगी और उसकी वजह से leackage current बढ़ जायेगा इस कारन की वजह से इंसुलेटर पूरी तरह से ख़राब हो सकता है |

2) Internal impurities (आंतरिक अशुद्धियाँ) :-

जब इन्सुलेटर्स को बनाया जाता है तब उसमे कुछ अशुद्धियाँ या फिर दरारे, रिक्तियों (voids) रह जाती है | इन अशुद्धियों  की वजह से insulator की breakdown strenght कम हो जाती है | इसी  वजह से कभी कभी rated voltage पर भी insulator पूरी तरह से ख़राब हो सकता है |

3)Poor mechanical strength (खराब यांत्रिक शक्ति) :-

अगर इंसुलेटर की design याने रचना करते समय कुछ दोष याने defects रह जाते है तो उसकी वजह से insulator की mechanical strength कम हो जाती है | और जब कंडक्टर का वजन और हवा का दबाव उसपे पड़ता है हो इंसुलेटर टूट जाता है |

4) Aging effect (समय का प्रभाव) :-

अगर इंसुलेटर को बोहोत ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल किया जाये तो उसमे leakage current बढ़ जाता है | उसकी वजह से breakdown strenght कम हो जाती है |

5) High voltage breakdown (हाई वोल्टेज ब्रेकडाउन) :-

जब भी कभी transmission line पे या फिर lightnig याने बिजली गिरती है  और switching surge होता है तब system में voltage बोहोत  बढ़ जाता है |

अगर surge वोल्टेज  याने झटका या तरंग वोल्टेज जिस हिसाब से इंसुलेटर बनाया गया है उससे अगर ज्यादा हो गया तब इंसुलेटर पूरी तरह से ख़राब हो जायेगा |

6) Surface flashover due to dust and dirt (धूल और गंदगी के कारण सरफेस फ्लैशओवर) :-

Insulators पूरी तरह से बाहरी वातावरण में होने की वजह से उनकी सतह पर धूल और गन्दगी जमा  हो जाती है इसकी वजह से इंसुलेटर के दोनों चोरो पर  flash over हो जाता है |

और बारिश के मौसम में जब moisture याने नमी इंसुलेटर के अंदर जाती है तो उसकी वजह से भी flash over हो जाता है |

इस Insulator in Hindi या insulator क्या है आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद आशा है की आपको पोस्ट पसंद आयी होगी आपको कुछ नया सीखने को मिला होगा, insulator के प्रकार कितने होते है यह भी देखा साथी साथ इन्सुलेटर्स ख़राब क्यू होते हे ये भी जाना |

तो आशा है की आपको पोस्ट पसंद आया होगा अगर पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ facebook या whatsapp पर जरूर शेयर करे |

धन्यवाद ||

इसी विषयी संबधी:-

1. Underground cable क्या है पूरी जानकरी  

 
 
 
 

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